Datiya Ka Kila | दतिया का किला

Datiya Ka Kila | दतिया का किला


Datiya Ka Kila मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। दतिया किले को दतिया महल या दतिया पैलेस(Datiya Palace) के नाम से भी जाना जाता है। दतिया महल का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था।


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दतिया में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं दतिया शहर धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए भी एक तीर्थ स्थान है। पीतांबरा देवी के सिद्धपीठ, बुगलामुखी देवी मंदिर और गोपेश्वर मंदिर सहित कई मंदिर हैं। प्राचीन समय में दतिया, बुंदेलखंड क्षेत्र के अधीन राज्य हुआ करता था जो अब मध्यप्रदेश के जिले के रूप में तब्दील हो गया है।

दतिया क्यों प्रसिद्ध है? - Why is Datia Famous?


इतिहास को खुद में समेटे हुए मध्य प्रदेश के 17 ऐतिहासिक किले जो दोस्ती की मिसाल हैं। यह महल ऐतिहासिक इमारत बुन्देल शासकों द्वारा बनाई गई सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक है। दतिया महल(Datiya Palace) राजा बीर सिंह देव द्वारा निर्मित सभी 52 महलों में से सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध है दतिया महल और इसे आसानी से दूर से भी देखा जा सकता है। महल में आज भी कई सुन्दर और बेशकीमती मूर्तियां स्थापित हैं और महल के छत से नगर का खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।

दतिया फोर्ट का निर्माण किसने कराया ? – Who Built Datia Fort?


इस ऐतिहासिक महल को विशेष रूप से राजा बीर सिंह देव द्वारा मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत के लिए बनाया गया था। ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि वो जहांगीर ही था, जिसने बीर सिंह देव को दतिया का शासक बनाया।

उन्होंने अपने पूरे जीवन में बीर सिंह के साथ अपनी अच्छी दोस्ती निभाई, इसलिए यह किला बीर सिंह देव और जहांगीर की दोस्ती का गवाह है। कहने को दतिया बहुत छोटी जगह है, लेकिन यहां का मशहूर ऐतिहासिक किला देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए मध्य प्रदेश के दतिया पैलेस की कहानी और इससे जुड़े रोचक तथ्य लेकर आ रहे हैं जो एक और गौरवशाली अतीत का प्रमाण है।

दतिया के किले की वास्तुकला – Architecture Of Datia Ka Kila


  • दतिया महल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे सतखंडा महल, पुराना महल, बीर सिंह देव महल और गोविन्द महल।
  • दतिया महल, दतिया जिले में एक पहाड़ी के ऊपर बनाया गया है, दतिया महल झाँसी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • दतिया महल सात मंज़िला इमारत है, जिसके दो मंज़िल भूमि के नीचे स्थित हैं।
  • महल का निर्माण किसी भी लकड़ी और लोहे के बिना, पत्थर और ईंटों द्वारा किया गया है। इसका मतलब यह पूरी सात मंज़िला इमारत बिना किसी धातु या लकड़ी के सहारे आज तक खड़ी है।
  • दतिया महल कभी भी किसी शासक का निवास स्थल नहीं रहा। यह सुनने में आपको भले ही थोड़ा अजीब लग रहा होगा पर यह सच है, यहाँ तक कि राजा बीर सिंह देव भी यहाँ कभी नहीं रहे। वास्तव में यह महल जिनकी वजह से बनवाया गया था, यानि कि जहांगीर, वो भी कभी इस महल में नहीं आये थे।
  • महल में लगभग 440 कमरे हैं और जगह-जगह पर आँगन हैं, इस महल को बनने में लगभग 9 साल का समय लगा था।
  • बीर सिंह देव महल की दीवारें खूबसूरत और अद्भुत चित्रों से सजी हुई हैं। इन चित्रों को जैविक रंगों से बनाया गया था, फलों और सब्जियों से तैयार किये गए रंगों से।
  • दतिया महल भारत-इस्लामिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। मुग़लई और राजपूतानी शैली का मिश्रण, इस महल को शानदार दृश्य प्रदान करता है।
  • दुर्भाग्य की बात है कि आज इतिहास की इस महान रचना की देखभाल उतने अच्छे तरीके से नहीं की जा रही है और इस महल में ध्यान देने की सख्त ज़रूरत है।
  • दतिया महल के परिसर में ही एक गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर और दरगाह स्थापित हैं।
  • महल के अंदर सुन्दर प्रवेश द्वार, विशाल प्रांगण, आकर्षक खिड़कियां, शहर का दिखता खूबसूरत नज़ारा और दीवारों पर लगे कुछ खूबसूरत चित्र यहाँ के निर्मल आकर्षणों में से एक हैं।
  • हालाँकि यह मध्यप्रदेश के खूबसूरत किलों में से एक है, फिर भी पर्यटकों की नज़र से आज भी अनदेखा और अछूता है।
  • दतिया महल, झाँसी-ग्वालियर मार्ग पर एक पहाड़ी के ऊपर स्थापित है। यह ग्वालियर से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग द्वारा आराम से पहुंचा जा सकता है।

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